Monday, May 23, 2016

।।मोगरा।।

--------------------------------------------------------- ।।मोगरा।। कुठेच नाही चारापाणी सुनसान पडल्या दावणी सर्जा-राजाला माझ्या घेऊन जातेय छावणी ! संगीता भांडवले वाशी, उस्मानाबाद ************************************* समाजबंधनाचा जुगारुन बुरखा चालवतेय आता बैलगाडी भाऊ माझा पाठीराखा संग सर्जा- राजाची जोडी ! ---------------------------------------------------------- वाढु दे कितीही भाव नाही इंधनाचा भार ही बैलगाडीच जणु माझा नैनो कार ! -------------------------------------------------- रस्त्यात असु देत खड्डे नाही अपघाताची भिती बैलगाडीच धावते पुढे नको ती हेल्मेटची सक्ती ------------------------------------------------------ प्रत्येक क्षेत्रात महिलांनी घेतलीय आघाडी चालवितात कशा शिताफिने सर्जाराजाची बैलगाडी ! ------------------------------------------------------- नको ती सहानुभुती नको तो आसरा माझ्याच हातात प्रगतीचा कासरा ! ...…संगीता भांडवले वाशी, उस्मानाबाद

1 comment:

  1. खूप छानपणे बैल व गाडीचा वापर झाला आहे.
    याविषयाच्या अनुषंगाने कविताही करता येतील...
    शुभेच्छा 💐 💐

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